नीलांबर-पितांबर
21 अक्तूबर 1857 को सहोदर भाई नीलांबर-पीतांबर के नेतृत्व में खेरवार, चेरो तथा भोगताओं ने कई स्थानों पर आक्रमण किया, किंतु पराजित हो गई। शहीद हो गए, पर सम्मान से समझौता नहीं किया।
कौन थे
जन्म पलामू में हुआ था। दोनों साहसी और ब्रिटिष शासन के घोर विरोधी थे। अंग्रेजों का हस्तक्षेप बढ़ा, शासन का शिकंजा कसता गया, तो जनता में आक्रोश बढ़ा। भाइयों ने कमानथामी। धोखे से परिजनों के साथ भोजन करते पकड़े गये। फरवरी 1858 में फांसी दी गयी।
योगदान
नीलांबर-पीतांबर ने अपनी जाति भोगता एवं खेरवार समुदाय के लोगों को मिलाकर एक शक्तिशाली संगठन बनाया। उन्होंने ब्रिटिश शासकों के दांत खट्टे कर दिये। उनका मुकाबला करने के लिए अंग्रेजी शासन की शक्तिषाली सेना ने अपना सारा दम-खम लगा दिया।